वैज्ञानिकों का दावा है कि 31 जनवरी को, दुनिया का नीला चाँद।
31 जनवरी ब्लू मून के आखिरी दिन, चंद्रमा का एक अलग रूप पाया जाएगा, जो वैज्ञानिकों ने ‘सुपर ब्लू मून’ का नाम दिया है। नासा ने इस बारे में जानकारी दी है नासा के वैज्ञानिक के अनुसार, सुपरमैन उन लोगों के लिए एक महान अवसर है, जो चंद्रमा के बारे में जानना चाहते हैं और सुपरमैन के कारण, चंद्रमा 14 प्रतिशत अधिक और 30 प्रतिशत अधिक प्रतिदिन उज्ज्वल दिखता है। यह 31 जनवरी को भी दिखाई देगा, इस महीने की पहली तारीख भी सुपर चंद्रमा पर और एक महीने के महीने में दिखाया गया था, जिसके कारण पूर्णिमा को देखा जा रहा है जिसके कारण इस घटना का नाम ’31 जनवरी ‘ब्लू मून’ रखा गया है।
साल का पहला चंद्र ग्रहण बुधवार 31 जनवरी 2018 यानी की आज है। यह लाल, नीला होने के साथ ही पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो 150 साल बाद पड़ रहा है। यह ग्रहण भारत के साथ-साथ अफ्रीका, एशिया, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में भी दिखाई देगा। भारत में ग्रहण का सूतक प्रातःकाल से शुरू हो गया। ग्रहण शाम 5 बजकर 18 मिनट से शुरू होगा और 8 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा। भारत में कहां सबसे पहले दिखेगा आज पूर्ण चंद्रग्रहण आइए जानते हैं।
भारत में सबसे पहले ग्रहण का आरंभ असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, सिक्किम, पश्चिम बंगाल में देखा जा सकेगा। फिर देश के बाकी हिस्सों में यह ग्रहण दिखेगा।
सूतक का दोष क्या है, क्यों लगता है और कितने समय तक रहता है ।।
सूतक का तात्पर्य है अशौच या अशुद्धि । सूतक से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की अशुद्धियाँ होती है । शरीर का सूतक द्रव्य और क्षेत्र के कारण तथा मन राग-द्वेषादी विकारी परिणाम से अशुद्ध होता है इसलिए इस काल में शुभ कार्य करना वर्जित है ।।
सूतक काल में ना करें ये काम – सूतक काल के समय खाना-पीना, सोना, नाखून काटना और भोजन पकाना आदि कार्य करना अशुभ माना जाता है। इस दौरान झूठ बोलने, छल-कपट और मूत्र विसर्जन नहीं करना चाहिए। सूतक काल में बच्चे, बूढ़े तथा प्रेग्नेंट महिला भोजन कर सकती है। सूतक काल के समय अचार, मुरब्बा, दूध, दही और अन्य खाद पदार्थों में तुलसी पत्र डाल देने से वह खराब नहीं होते हैं।
विशेष ध्यान रहने वाली बाते : ग्रहण काल में स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है। ग्रहण के समय किसी भी शुभ वस्तु को स्पर्श नहीं करना चाहिए। भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना भी दोषपूर्ण होता है। ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य में देव पूजन व मोक्ष के समय अन्न, वस्त्र, धनादि का दान करना चाहिए।
ग्रहण काल तथा बाद में क्या करें क्या ना करें : ग्रहण के समय ‘ऊं क्षीरपुत्राय विह्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चंद्रः प्रचोदयात्।’ इसमें मंत्र जाप से विशेष लाभ होता है। ग्रहण के समय तुलसी, शमी, वृक्ष आदि को नहीं छूना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। मान्यता है कि जब ग्रहण पड़ रहा हो, तो भोजन पकाना, सोना और सीना-पिरोना आदि कार्य भी अशुभ फल देते हैं, इसलिए इन कार्यों से भी बचना चाहिए।
ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय
सनातन धर्मानुसार ऋषि मुनियों ने इनके दुष्प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय बताए हैं जो कि निम्न है:
1.ग्रहण में सभी वस्तुओं में कुश डाल देनी चाहिए कुश से दूषित किरणों का प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि कुश जड़ी- बूटी का काम करती है.
2. ग्रहण के समय तुलसी और शमी के पेड़ को नहीं छूना चाहिए. कैंची, चाकू या फिर किसी भी धारदार वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
3. ग्रहण में किसी भी भगवान की मूर्ति और तस्वीर को स्पर्श नहीं चाहिए. इतना ही नहीं सूतक के समय से ही मंदिर के दरवाजे बंद कर देने चाहिए.
4. ग्रहण के दिन सूतक लगने के बाद छोटे बच्चे, बुजुर्ग और रोगी के अलावा कोई व्यक्ति भोजन नहीं करे.
5. ग्रहण के समय खाना पकाने और खाना नहीं खाना चाहिए, इतना ही नहीं सोना से भी नहीं चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि ग्रहण के वक्त सोने और खाने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है.
6. क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो कि बच्चे और मां दोनों के लिए हानिकारक मानी जाती है.
7. गर्भावस्था की स्थिति में ग्रहण काल के समय अपने कमरे में बैठ कर के भगवान का भजन ध्यान मंत्र या जप करें.
8. ग्रहण काल के समय प्रभु भजन, पाठ , मंत्र, जप सभी धर्मों के व्यक्तियों को करना चाहिए, साथ ही ग्रहण के दौरान पूरी तन्मयता और संयम से मंत्र जाप करना विशेष फल पहुंचाता है. इस दौरान अर्जित किया गया पुण्य अक्षय होता है। कहा जाता है इस दौरान किया गया जाप और दान, सालभर में किए गए दान और जाप के बराबर होता है.
9. ग्रहण के दिन सभी धर्मों के व्यतियों को शुद्ध आचरण करना चाहिए
10. किसी को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं देना चाहिए, सब के साथ करना चाहिए.
11. सभी के साथ अच्छा व्यवहार करें, और मीठा बोलें.
12. ग्रहण के समय जाप, मंत्रोच्चारण, पूजा-पाठ और दान तो फलदायी होता ही है.
13. ग्रहण मोक्ष के बाद घर में सभी वस्तुओं पर गंगा जल छिड़कना चाहिए, उसके बाद स्नान आदि कर के भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए और हवन करना चाहिए और भोजन दान करना चाहिए. धर्म सिंधु के अनुसार ग्रहण मोक्ष के उपरांत हवन करना, स्नान, स्वर्ण दान, तुला दान, गौ दान भी श्रेयस्कर है.
14. ग्रहण के समय वस्त्र, गेहूं, जौं, चना आदि का श्रद्धानुसार दान करें , जो कि श्रेष्ठकर होता है.