हिंदू धर्मग्रंथों में लिखा गया है कि – एक बार विष्णु भगवान ने माता लक्ष्मी से विवाह करना चाहा तो लक्ष्मी माता ने इंकार कर दिया क्योंकि उनकी बड़ी बहन दरिद्रा का विवाह नहीं हुआ था। उनके विवाह के बाद ही वह श्री विष्णु से विवाह कर सकती थी। इसलिए माता लक्ष्मी ने अपनी बहन दरिद्रा से पूछा कि वो कैसा वर पाना चाहती हैं। तो वह बोली कि वह ऐसा पति चाहती हैं जो कभी पूजा-पाठ न करे व उसे ऐसे स्थान पर रखे जहां कोई भी पूजा-पाठ न करता हो। इसी प्रकार भगवान विष्णु ने उनके लिए ऋषि नामक वर चुना और दोनों विवाह सूत्र में बंध गए। अब दरिद्रा की शर्त के अनुसार ही उन दोनों को ऐसे स्थान पर वास करना था जहां कोई भी धर्म कार्य न होता हो। ऋषि उसके लिए उसका मन भावन स्थान ढूंढने निकल पड़े लेकिन उन्हें कहीं पर भी ऐसा स्थान न मिला। अधिक समय बीत जाने के बाद ऋषि के वापस न आने पर दरिद्रा उनके इंतजार में विलाप करने लगी। इसी क्रम में भगवान विष्णु ने दोबारा लक्ष्मी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा तो लक्ष्मी जी बोली कि जब तक मेरी बहन की गृहस्थी नहीं बसती मैं विवाह नहीं करूंगी। इस बात पर भगवान विष्णु को समझ नही आया कि ऐसा कौन सी जगह ढूढे जहां पर कोई धर्म न हो। धरती पर ऐसा कोई स्थान नहीं है। जहां कोई धर्म कार्य न होता हो। इसलिए भगवान विष्णु ने अपने निवास स्थान पीपल को रविवार के लिए दरिद्रा और उसके पति को दे दिया। इसी कारण हर रविवार पीपल के नीचे देवताओं का वास न होकर दरिद्रा का वास होता है। इसी कारण इस दिन पीपल की पूजा वर्जित मानी जाती है। रात में पीपल की पूजा को निषिद्ध माना गया है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि रात्रि में पीपल पर दरिद्रा बसती है और सूर्योदय के बाद पीपल पर लक्ष्मी का वास माना गया है। पीपल के पेड़ का सिंचन, पूजन और परिक्रमा करने से जहां जीव की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है वहीं शत्रुओं का नाश भी होता है। यह सुख सम्पत्ति, धन-धान्य, ऐश्वर्य, संतान सुख तथा सौभाग्य प्रदान करने वाला है। इसकी पूजा करने से ग्रह पीड़ा, पितरदोष, काल सर्प योग, विष योग तथा अन्य ग्रहों से उत्पन्न दोषों का निवारण हो जाता है।
वैज्ञानिक कारण
अधिकतर पेड़ दिन में आक्सीजन छोड़ते हैं और कार्बनडाइआक्साईड ग्रहण करते हैं। जबकि इंसानों के विपरित रात को सभी वृक्ष कार्बन-डाइआक्साईड छोड़ते हैं व आक्सीजन लेते हैं। इन्हीं कारणों से ये कहा जाता है कि रात को वृक्ष के नीचे सोना नहीं चाहिए। लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार पीपल एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो 24 घंटे आक्सीजन ही छोड़ता है इसलिए इसके पास जाने से कई रोग दूर होते हैं और शरीर स्वस्थ रहता है। इसलिए इसे पूजा जाता है।
क्यों नही करे रविवार को पीपल के पेड़ की पूजा
शास्त्र कहते है की जो व्यक्ति रविवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करते है उनपे दरिद्रता खुश हो जाती है और उनके साथ उनके घर में वास करने लगती है | ऐसा होने से व्यक्ति और उसका घर गरीबी का सामना करना पड़ता है |इसलिए शनिवार को इस पर जल चढ़ाना श्रेष्ठ माना गया है। पीपल के वृक्ष को काटने की भी सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि ऐसा करने से पितरों को कष्ट मिलता है और वंशवृद्धि में भी रुकावट होती है। लेकिन किसी पूजा पवित्र के उद्देश्य से इस लकड़ी को काटने पर दोष नहीं लगता है।
रात में भी ना करे पीपल की पूजा :
यहा रात से हमारा अभिप्राय रात्रि के 8 बजे बाद से है | अत: कभी भी रात्रि के 8 बजे के बाद पीपल की पूजा न करे क्योकि इस समय भी लक्ष्मी की बहिन दरिद्रता इसमे वास करती है |