- धनतेरस, धनवंतरि त्रयोदशी या धन त्रयोदशी दीपावली से पूर्व मनाया जाना महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन आरोग्य के देवता धनवंतरी, मृत्यु के अधिपति यम, वास्तविक धन संपदा की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी तथा वैभव के स्वामी कुबेर की पूजा की जाती है
- धनवंतरि और मां लक्ष्मी का अवतरण समुद्र मंथन से हुआ था। दोनों ही कलश लेकर अवतरित हुए थे। इसके साथ ही मां लक्ष्मी का वाहन ऐरावत हाथी भी समुद्र मंथन द्वारा अवतरित हुआ था।
- इस दिन धन्वंतरि जी का पूजन करें।
- नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर उनका पूजन करें
- सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर घर, दुकान आदि को श्रृंगारित करें।
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निम्न ध्यान मंत्र बोलकर भगवान कुबेर पर फूल चढ़ाएं –श्रेष्ठ विमान पर विराजमान, गरुड़मणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा एवं वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत तुंदिल शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र निधीश्वर कुबेर का मैं ध्यान करता हूं।इसके पश्चात निम्न मंत्र द्वारा चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें –‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतयेधन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।’
धनतेरस पूजा मुहूर्त- इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त वृष लगन में शाम 6.57 से रात्रि 8.49 तक है। मुहूर्त के समय पूजा करने बहुत लाभ मिलता है। पूजा करने के बाद घर के बाहर दीपक जलाएं।
धनतेरस पूजन सामग्री:
मिटटी के चोमुखी दीपक, चार बत्तियां, एक छेद की हुई कोड़ी, घी, जल से भरा लोटा, पंचपात्र में जल, एक चम्मच, फुल, रोली, दक्षिणा, चावल, मिठाई, खील और बतासे, सुहाली, शक्कर, गुड़, चोकी, रोली, आसन आदि !
धनतेरस पूजन विधि:
धनतेरस की पूजा संध्या समय में तारे निकलने के बाद होती है पाटे या चोकी पर लिया हुआ चोमुखी दीपक घी से भरा हुआ रख लें,और उसके बाद उसकी चारों बत्तियां जलाए,इस दीपक में कुछ कोड़ी भी डाल दें, दीपक के चारों और जल से छीटें देकर रोली से तिलक लगाये !इस दीपक को यम दीपक कहते है ! इसके बाद ४ सुहाली,थोडा सा गुड व् शक्कर, खील व् बातसे, फुल व् दक्षिणा चदाये, एसा करने के बाद परिवार के हर सदस्यों के तिलक लगाये दीपक के ४ परिक्रमा करके प्रणाम करें पूजा करते समय दिया गया निम्न मंत्र उच्चारण करें !
मंत्र : त्रियोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रियतामिति !
उसके बाद घर का कोई भी एक सस्द्य अपने सर को कपडे से ढक कर दीपक को अपने घर के मुख्य दरवाजे के सीधे हाथ की तरफ रख दें, दीपक जलने वाले सदस्य को दक्षिणा दे, इस दिन ब्राह्मण व् जरुरतमद लोगों को जूते या छाते का दान किया जाता है !