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Navgrah Shanti Mantra

2015-09-11_1256

Navgrah Shanti Mantra (Chant For Getting Relief From All Planet Effects)

यदि निचे लिखे हुए श्लोकों का कोई नियमित रुप से जप करे तो उसे नवग्रह पीङा अवश्य ही छुट्कारा मिल सकता है। प्रत्येक ग्रह का एक निश्चित दिन है। अतः प्रतिदिन उसी ग्रह की स्तुति करें। माला (108 बार) नित्य पाठ करने से ग्रह पीङा शान्त हो जाती है। यथासंभव नवग्रहों का एक संयुक्त चित्र मिले तो अथवा अलग-अलग लाकर उन्हें स्थापित करके नित्य धूप-दीप से पूजा भी करनी चाहिए।

 

सूर्य- जपा कुसूम संकाशं काश्यपेयं महत द्युतिम्। तमोऽरि सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरम्॥

 

चन्द्र- दधि शंख तुषाराभं, क्षीरोदार्णव संभवम्। नमामि शशिनं सोम,शंभोर्मुकुट भूषणम्॥

 

मंगल- धरणी गर्भ संभूत विद्युत्कान्ति समप्रभम्। कुमारं शक्ति हस्तं च मंगल प्रणमाम्यहम्॥

 

बुध- प्रियंगं कलिका श्यामं रुपेणापतम बुधन्। सौम्यं सौम्यं गुणं पेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्॥

 

गुरु- देवानां च ॠषीणां च गुरुं कांचन सन्निभम। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्॥

 

शुक्र- हिमकुन्द मृणालाभं दैत्यानां परम गुरुम्। सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गव प्रणमाम्यहम्॥

 

शनि- निलांजन समाभासं रविपुत्र यमाग्रजम्। छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैचरम्॥

 

राहु- अर्धकाय महावीर्य चन्द्रादित्य विमर्दनम्। सिंहिका गर्भ संभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्॥

 

केतु- पालांश पुष्प संकाशं,तारका ग्रह मस्तकम्। रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्॥

 

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